हुल दिवस के अवसर पर आज झामुमो कार्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिलाध्यक्ष संजय सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में काफी संख्या में झामुमो के कार्यकर्ता शामिल हुए और स्वतंत्रता सेनानी सिदो, कान्हू, चांद और भैरव को याद किया और उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किया. इस बाबत झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जिस दिन विद्रोह किया था उस दिन को हूल क्रांति का नाम दिया गया है और हूल क्रांति दिवस इसी का प्रतीक है. इस युद्ध में करीब 20 हजार आदिवासियों ने अपनी जान दी थी. आजादी की पहली लड़ाई 1857 को मानी जाती है लेकिन झारखंड के आदिवासियों ने 1855 में ही अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था. 30 जून 1855 को सिदो-कान्हू के नेतृत्व में साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव में पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ संताल आदिवासियों ने एकजुट होकर अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों का विरोध किया था. सिदो, कान्हू, चांद और भैरव इन चारों भाइयों के नेतृत्व में संथाल विद्रोह यानि हूल क्रांति की नींव रखी गई थी और ‘करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो जमीन छोड़ो’ का नारा दिया गया था. कहा कि उन्ही की याद में आज हुल दिवस मनाया जाता है. वही मौके पर अजीत कुमार पप्पू, सुमन कुमार सिन्हा, रॉकी सिंह , टुन्ना सिंह, सुमित कुमार ,अनिल राम, बृज मोहन तुरी, अभय सिंह, पप्पी सिंह , दिलीप रजक, छक्कू साव, मेहताब मिर्जा, शाहनवाज अंसारी, प्रमिला मेहरा, आसमा खातून सहित कई जेएमएम कार्यकर्ता मौजूद थे।










