शुभ मुहूर्त में गुरुवार देर रात लगभग 1 बजे शहर के मकतपुर,अरगाघाट, कर्बला रोड समेत अन्य स्थानों पर होलिका दहन किया गया।देर रात होलिका दहन के साथ रंग-अबीर लगाने का सिलसिला शुरू हो गया।लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर त्योहार की शुभकामनाएं देते नजर आए। कमोबेश का दृश्य बरगंडा, बीबीसी रोड,सिरसिया, सीतलपुर पचंबा, बड़ा चौक,कुटिया रोड के अलावे पूरे जिले भर में देखने को मिला।
होलिका दहन के बाद लोगों ने एक दूसरे को रंग लगाकर शुभकामनाएं दीं।असल में इस साल भद्रा के कारण होलिका दहन के शुभ मुहूर्त को लेकर असमंजस की स्थिति थी। यही कारण था कि होलिका दहन का मुहूर्त हर कोई अलग-अलग बता रहा था। ऐसे में आम लोग यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर होलिका दहन किस मुहूर्त में करना चाहिए।
बताया गया कि होलिका दहन हमेशा फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में भद्रा रहित मुहूर्त में किया जाना चाहिए।अगर प्रदोष काल में भद्रा है, तो भद्रा समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना चाहिए।भद्रा को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना गया है। इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इस वजह से भद्राकाल निकलने के बाद लगभग 1 बजे तमाम स्थलों पर होलिका दहन प्रारंभ हुआ जो पहले सुबह तक चलता रहा। इस दौरान तमाम लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला।इस दौरान हर जगह लोग झूमते गाते नजर आए।










