झारखंड इस बार अनोखे मौसमीय संकट से जूझ रहा है। दुर्गापूजा और दशहरा की रौनक जहां चारों ओर नजर आ रही है, वहीं बार-बार हो रही बारिश आयोजकों और श्रद्धालुओं के लिए चुनौती बन गई है। पूजा पंडालों में छाता और रेनकोट के साथ पहुंच रहे भक्त बताते हैं कि चाहे बारिश हो या तूफान, उत्साह कम नहीं होगा।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक राज्य के कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश और वज्रपात की संभावना बनी रहेगी। हालांकि राहत की बात यह है कि नवमी तक भारी बारिश की आशंका नहीं है।
सबसे बड़ी चुनौती दशहरा पर दिख रही है। रांची के मोरहाबादी मैदान और अरगोड़ा चौक में होने वाले रावण दहन में लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। इस बार 2 अक्टूबर को देवघर, गिरिडीह, दुमका समेत कई जिलों में भारी बारिश और तेज हवाओं का अलर्ट जारी किया गया है। आयोजक चिंतित हैं कि रावण के पुतले जलेंगे या बारिश में भीगकर ढह जाएंगे।
इतना ही नहीं, 3 और 4 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन पर भी बारिश का खतरा मंडरा रहा है। बावजूद इसके लोग कहते हैं – “बारिश हो या तूफान, आस्था और उत्सव की लौ कभी नहीं बुझ सकती।”
अब सवाल यही है कि इस बार झारखंड में रावण जलकर मरेगा या बारिश में डूबकर!