हेमंत सोरेन ने विधानसभा के विशेष सत्र में झारखंड के आदिवासी मूलवासी की दो मुख्य मांग 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति और दूसरा राज्य के पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दोनों ही विधेयक को पारित कर दिया है। बता दें कि राज्य गठन के पूर्व से ही 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग झारखंड के मूल निवासी और आदिवासियों के द्वारा लंबे समय से की जा रही थी. वहीं राज्य गठन के उपरांत ओबीसी समुदाय द्वारा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण किए जाने की मांग की जा रही थी। हेमंत सोरेन कि कैबिनेट द्वारा 14 सितंबर को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए झारखंड की जन आकांक्षा को देखते हुए 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ा कर 27% करने का निर्णय लिया था। बता दें इससे पूर्व 11 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कि सरकार ने झारखंड के आदिवासियों और जनजातीय समुदाय के लिए अलग सरना धर्म कोड की मांग से संबंधित विधेयक को पास किया था।