रैयत जमीन की सबसे जरूरी चीज है रसीद । यह तब तक नहीं मिलती है, जब तक संबंधित अंचल के बाबू से लेकर उच्च पदस्थ अधिकारियों को चढ़ावे का भुगतान नहीं किया जाये. हम बात कर रहें है दाखिल खारिज का।दाखिल खारिज सुनने में तो बहुत आसान है पर ऐसा सामान्य तौर पर होता नही है।अंचल अधिकारी बगैर मोल भाव के कुछ नही करतें है।
ऐसा ही मामला तिसरी अंचल के भंडारी पंचायत में बार बार देखने को मिलता रहता है कुछ महीने पहले कर्मचारी नरेश सिन्हा द्वारा बीस हजार की मांग भंडारी के कटी यादव और रामानंद यादव से किया गया था जब उनके द्वारा पैसा नही देने पर उसे रिजेक्ट कर दिया गया।ऐसा ही मामला आज फिर देखने को मिला हुआ यूं कि भंडारी निवासी शिव बालक यादव अपने पूर्वज का खतियान जमीन मोटेशन के लिए ऑनलाइन किया गया जिसका हल्का 7 में खाता न 115 प्लॉट 1211 रकवा 12 डिसमिल जो अपने पूर्वज के नाम से है ऑनलाइन होते ही आवेदक के अनुसार बताया गया कि कर्मचारी नरेश सिन्हा एक बिचौलिया को लेकर उनके घर पहुचा और बोलने लगा की आप इनसे बात कर लीजिए और बिचौलिया द्वारा मोल भाव करने लगा कर्मचारी द्वारा बीस हज़ार की मांग किया गया तो शिव बालक ने कहा हुजूर मेरे पास उतना पैसा नही है जो हम आपको दे सकें। तो कर्मचारी ने कहा कि लास्ट पन्द्रह हजार लगेगा नही तो नही हो सकेगा।मुझे भी ऊपर पैसा देना पड़ता है तब से ओ अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहा है।जब 90 दिन हो गया तो उसे बिना कारण बताए रिजेक्ट कर दिया गया।इस संबंध से जब मीडिया अंचल अधिकारी से कारण जानना चाहा तो बोलें की किसी कारण देख कर रिजेक्ट किया जाता है जिसको संतुष्टि नही है ओ अपील कोर्ट जा सकते है लेकिन सच्चाई यह है कि बिना कारण के रिजेक्ट किया जाता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसे अधिकारी पर कारवाई क्यो नही होती है।जो खुले आम पैसा की लेन देन करता है।और उनके ऊपर कारवाई नही होता है अब देखना है आगे क्या होता है।इस संबंध में जे एम एम प्रखंड अध्यक्ष रिंकू बर्णवाल ने कहा कि तिसरी अंचल बे लगाम हो गया हमेशा किसी भी काम के बिना पैसा का नही होता है में उपायुक्त से सीआई नरेश सिन्हा को बर्खास्त की मांग करता हूँ।