पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री व्रत का पूजन किया। वट सावित्री व्रत को लेकर सुबह से ही बरमसिया, अरगाघाट समेत जिले भर में अहले सुबह से ही पूजा-पाठ का दौर चलता रहा।इस दौरान सुहागिनों ने वट वृक्ष की तरह अपने पति को अटल रहने और उनके छांव तले अपने परिवार जनों और अन्य की छत्रछाया बने रहने की मन्नतें मांगते हुए वट वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधा।
वट सावित्री पूजन को लेकर को गिरिडीह जिले के विभिन्न इलाकों में वट वृक्ष के नीचे सुहगिनों की भीड़ देखने को मिली।
कहते हैं कि आज का दिन सुहगिनों के लिये विशेष दिन होता है। आज ही के दिन पति की लम्बी उम्र के लिये निर्जला व्रत रख कर सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस पाने सफल हुई थी। सावित्री के प्राण को हर कर जब यमराज वापस जा रहे थे तो सावित्री ने अपने पति के पार्थिव शरीर को वट वृक्ष के नीचे ही उसके छांव तले रख कर यमराज के पीछे चली थी। इस लिये आज के दिन वट वृक्ष की महत्ता को ध्यान में रख सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं। गौरतलब है कि सोमवार को सोमवती अमावस्या के शुभ अवसर पर सुहागिनें वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती दिखी। अखंड सौभाग्य के लिए इसके पूर्व सुहागिनें रविवार को 24 घण्टे का निर्जला उपवास रख कर ईश्वर से पति के दीर्घायु की कामना की और सोमवार के सुबह वटवृक्ष पर रक्षासूत्र बांध कर अपनी मन्नतें मांगी। बता दें कि वट सावित्री का व्रत जेष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। इस वर्ष अमावस्या तिथि का प्रवेश शनिवार की दोपहर 2.15 बजे ही प्रवेश कर गया।इसलिए कई इलाकों में शनिवार को ही व्रत सम्पन्न हो गया। लेकिन उदया तिथि का पालन करने वाले इलाकों में सोमवार को यह व्रत मनाया गया।










