केंद्र सरकार ने कंपनियों को तेजी से टैक्स रिफंड जारी करना शुरू किया है, ताकि कम किए गए जीएसटी दरों का लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंच सके। सरकार का मानना है कि कंपनियां इस टैक्स राहत को कीमतों में कमी के रूप में उपभोक्ताओं को देंगी। इसके लिए सीबीआईसी ने स्पष्ट किया है कि टैक्स रिफंड जल्दी-जल्दी प्रोसेस किया जा रहा है।
हालांकि, सरकार ने निगरानी भी तेज कर दी है। जीएसटी विभाग ने सभी प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर्स को निर्देश दिया है कि वे बाजार में दामों पर नजर रखें। यदि पाया गया कि कंपनियों ने कीमतें नहीं घटाईं तो उनके खिलाफ स्पेशल ऑडिट का आदेश दिया जा सकता है।
हालिया सर्वे के मुताबिक, 78% उपभोक्ताओं का मानना है कि 2018-19 की जीएसटी कटौती का पूरा लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचा। अधिकतर लोगों का कहना है कि ब्रांड्स, निर्माता और रिटेलर्स ने टैक्स कटौती का फायदा खुद रख लिया और उपभोक्ताओं को कीमतों में राहत नहीं दी। यही कारण है कि इस बार सरकार ने बाजारों में औचक निरीक्षण का फैसला लिया है।
22 सितंबर से नई जीएसटी दरें लागू हो रही हैं। साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट जैसे रोजमर्रा के सामान पर टैक्स 18% से घटाकर 5% किया गया है, वहीं घी, मक्खन और नूडल्स पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। अगर व्यापारी तय दरों के अनुसार दाम नहीं घटाते, तो उन्हें टैक्स क्रेडिट ब्लॉक होने और कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।