चैताडीह स्थित मातृ एवं शिशु इकाई में तैनात कुछ सहियाओं की शिकायत शनिवार को सिविल सर्जन से की गई। आरटीआई कार्यकर्ता ने तीन सहिया को काम से हटाने की मांग की है। बिना यूनिफार्म के अस्पताल पहुंची सहिया को रोकने पर वह संबंधित कर्मियों से उलझ पड़ी।बताया गया कि कुछ सहियाओं द्वारा सीनाजोरी से या बहला फुसला कर रोगियों को प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराने का शिलशिला जारी है।विदित हो कि कुछ दिन पहले एक गरीब आदिवासी महिला मरीज को सदर अस्पताल से प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्त्ती कराने के बाद इलाज के दौरान मोटी रकम चुकाने और शोषण करने की बात सामने आई थी। जिसे घर जमीन बेचने के बाद भी महिला के परिजन नर्सिंग होम का रकम चुकाने में असमर्थ थे।जिसकी भनक भाकपा माले टीम को लगी उसके बाद जिला से लेकर स्वास्थ्य विभाग झारखण्ड सरकार तक लिखित शिकायत कर तीन नर्सिंग होम को बंद करवाया गया। उन में से बोडो स्थित कल्याण हॉस्पिटल एक है जिस पर अबैध रूप से नर्सिंग होम चलाने और सदर अस्पताल से गरीब व ग्रामीण मरीज महिलाओं को सहियाओं द्वारा बहला फुसला कर अपने नर्सिंग होम में भर्ती करवाने और 40 से 50 हजार रुपये वसूलने के आरोप में तिसरी बार बन्द कर संचालक पर कारवाई की जा चुकी है। यही कारण है कि आज भी यह अस्पताल विवादों से घिरा है। इस वीडियो में देखिए सहियाओं का हाई वोल्टेज ड्रामा।अस्पताल प्रबन्धक प्रवीर कुमार और महिला गार्ड लक्ष्मी कुमारी सहिया साजदा को बिना यूनिफार्म के अस्पताल में प्रवेश करने से रोका तो यह कैसे उलझ रही है।बताया गया कि यहाँ खास कर साजदा, बबिता सिंहा और कंचन देवी तीन सहियाओं का जमावड़ा हमेशा रहता है। जिससे अस्पताल की प्रबन्धन व्यस्था खराब और मरीजों के साथ शोषण होने की बात सामने आ रही है। इस बाबत आरटीआई कार्यकर्ता एवं समाज सेवी शमीम परवेज ने सिविल सर्जन से उक्त तीनों सहियाओं का कोड निरस्त करने की अपील की है। ताकि सदर अस्पताल में शांति व्यवस्था बनी रहे और गरीब मरीजों को लाभ मिल सके।