झारखंड में प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब राज्य सरकार ने कक्षा पांचवीं में पास होना अनिवार्य कर दिया है। यानी, अगर किसी छात्र को 33 प्रतिशत से कम अंक मिलते हैं, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तैयार प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है और इसे जल्द लागू किया जाएगा।
नई व्यवस्था के तहत अब कक्षा पांचवीं की परीक्षा विद्यालय स्तर पर नहीं, बल्कि संकुल स्तर पर आयोजित की जाएगी। एक संकुल में औसतन 15 स्कूल होंगे और विद्यार्थियों को अपने निकटतम स्कूल में परीक्षा देनी होगी। खास बात यह है कि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन अब अपने विद्यालय के शिक्षक नहीं करेंगे, बल्कि अन्य विद्यालयों के शिक्षक करेंगे, ताकि मूल्यांकन निष्पक्ष हो।
अगर किसी छात्र को 33% से कम अंक मिलते हैं, तो उसे दो महीने की विशेष कक्षा दी जाएगी और इसके बाद पुनः परीक्षा देनी होगी। दोबारा असफल होने पर वह अगली कक्षा में प्रमोट नहीं होगा।
वहीं, कक्षा आठवीं, नौवीं और 11वीं की परीक्षा अब झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) नहीं लेगी। इन परीक्षाओं की जिम्मेदारी JCERT (झारखंड शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) को दी गई है। परीक्षा अब OMR शीट पर नहीं, बल्कि लिखित स्वरूप में होगी जिसमें बहुविकल्पीय, लघु और दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न शामिल होंगे।
राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और बच्चों की वास्तविक सीखने की क्षमता मापने के लिए जरूरी है। शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने बताया कि अब शिक्षा में “सिर्फ प्रमोशन नहीं, प्रदर्शन” पर जोर दिया जाएगा।