13 अप्रैल 2022 को यानी आज जलियांवाला बाग हत्याकांड के पुरे 103 साल हो चुके है लेकिन आज भी वह हत्याकांड सभी के जहन में जिन्दा है। उस दिन के इतिहास को कोई भूल नहीं सकता की कैसे बैसाखी पर निहत्थे भारतीयों के ऊपर अमृतसर के जलियांवाला बाग में गोलियां बरसाई गई थीं। करीब 10-15 मिनट में 1650 राउंड फायर किए गए थे। इस हत्यकांड का विलेन कर्नल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर था। जिसमें 350 से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। जिस जगह पर यह जनसभा आयोजित की गई थी वह एक साधारण सा बाग था जो चारों ओर से घिरा हुआ था. अंदर जाने का केवल एक ही रास्ता था. जनरल डायर ने अपने सिपाहियों को बाग के एकमात्र तंग प्रवेश मार्ग पर तैनात किया था. बाग साथ-साथ सटी ईटों की इमारतों के पिछवाड़े की दीवारों से तीन तरफ से घिरा था. डायर अपनी सेना के साथ करीब साढ़े चार बजे पहुंचा. डायर ने बिना किसी चेतावनी के 150 सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दिया और चीखते, आतंकित भागते निहत्थे बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों की भीड़ पर कुछ ही मिनटों में 1650 राउंड गोलियां दाग दी. जिनमें से कई लोग तो गोलियों से मारे गए तो कई अपनी जान बचाने की कोशिश करने में लगे लोगों की भगदड़ में कुचल कर मर गए. जान बचाने के लिए बहुत से लोगों ने पार्क में मौजूद कुएं में छलांग लगा दी