इस साल शारदीय नवरात्र सोमवार, 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक पूरे 10 दिन मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। यह संयोग वर्षों में एक बार बनता है और इसे मंत्रों, यंत्रों और पूजा के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है। इसके अलावा, यह संयोग पूरे भारतवर्ष में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली का संकेत भी देता है। नवरात्र के दौरान विशेष पूजा विधि और मंत्रों का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
इस नवरात्र के दौरान तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर को रहेगी, जिससे इस बार नवरात्र में एक दिन की वृद्धि होगी। बढ़ती तिथि को शक्ति, उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, जबकि घटती तिथि को कम शुभ माना जाता है। इस वर्ष नवरात्र पर होने वाला यह विशेष संयोग पूजा और व्रत का विशेष फल देगा। नवरात्र में माता रानी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और यह स्वास्थ्य, ज्ञान और आत्मिक शक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
घटस्थापना 22 सितंबर सोमवार को सुबह 5:58 से 7:52 बजे और दोपहर 11:37 से 12:25 बजे तक का शुभ मुहूर्त है। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों के घर पधारेंगी। हाथी पर सवारी को समृद्धि, उन्नति और शांति का प्रतीक माना जाता है।हाथी पर सवार माता रानी का आगमन घर और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है और कठिन समय में सुरक्षा का आभास कराता है। भक्त इस अवसर पर घर की साफ-सफाई, विशेष पूजा सामग्री और मां के चित्र या मूर्ति की स्थापना कर विशेष श्रद्धा के साथ पूजा कर सकते हैं।